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दारु मीठी दाख री, सूरां मीठी शिकार.....



दारु मीठी दाख री, सूरां मीठी शिकार ।
सेजां मीठी कामिणी, तो रण मीठी तलवार ।।


दारु पीवो रण चढो, राता राखो नैण ।
बैरी थारा जल मरे, सुख पावे ला सैण ।।

रण खेती रजपूत री,कबहू न पीठ धरेह ।
देश रुखाले आपणे, दुखिया पीड़ हरे ।।


खाली धङ रि कद हुवे चेहरे बीनापिछाण ।
राजपूता रे बीना क्यारो राजस्थान ।।


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