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क्षत्रिय धर्म को भूल,राजपूत हम बन गये ! छोङे सारे क्षत्रिय सँस्कार, अँहकार मे तन गये !

_क्षत्रिय धर्म_ _क्षत्रिय धर्म को भूल,राजपूत हम बन गये !_ _छोङे सारे क्षत्रिय सँस्कार, अँहकार मे तन_ _गये !_
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हवा लगी पश्चिम की , सारे कुप्पा बनकर फूल गए ।

हवा लगी पश्चिम की , सारे कुप्पा बनकर फूल गए । ईस्वी सन तो याद रहा , पर अपना संवत्सर भूल गए ।। चारों तरफ नए साल का , ऐसा मचा है हो-हल्ला । बेगानी शादी में नाचे , जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।

नीला घोड़ा रा असवार , म्हारा मेवाड़ी सरदार राणा ----सुणता ही जाज्योजी

नीला घोड़ा रा असवार , म्हारा मेवाड़ी सरदार राणा ----सुणता ही जाज्योजी राणा थारी दकाल सुणनै अकबर धूज्यो जाय हल्दी घाटी रंगी खून सूँ नाळो बहतो जाय

दारु मीठी दाख री, सूरां मीठी शिकार.....

दारु मीठी दाख री, सूरां मीठी शिकार । सेजां मीठी कामिणी, तो रण मीठी तलवार ।। दारु पीवो रण चढो, राता राखो नैण । बैरी थारा जल मरे, सुख पावे ला सैण ।।